अम्मा की कहानियाँ
एक छोटी सी चिड़िया
एक चिड़िया थी। जमुना पार रहती थी। उसके छोटे-छोटे बच्चे थे। उनके लिए वह एक खेत में दाना चुगने आती थी। वहाँ पके-पके दाने गेहूँ के जौं के चुग-चुग कर खाती थी। जाट ने कहा कौन मेरी फसल खराब कर कहा है। वह एक दिन छुप कर बैठ गया। चिड़िया आयी। जाट ने चिड़िया को पकड़ लिया। चिड़िया ने उसकी बहुत खुशामद की, जाट मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं उनके लिए दाना लेकर जाती हूँ। जाट तू मुझे छोड़ दे। जाट ने उसे छोड़ा नहीं। चिड़िया ने सोचा कि अब वह क्या करे। चिड़िया बहुत परेशान थी।
चिड़िया ने देखा एक घोड़े वाला जा रहा था। उसने आवाज दी
ओ घोड़े वाले भैया, मैं जमुना पार बसैया
मैंने खेत जाट का खाया, मुझे जाट पकड़ ले आया
मेरे रोवें बेटी-बेटा, रामजी च्यूँ-म्यूँ रामजी च्यूँ-म्यूँ
घोड़े वाले ने ध्यान नहीं दिया। फिर एक हाथी वाला आया। चिड़िया ने उसको भी आवाज लगायी
ओ हाथी वाले भैया, मैं जमुना पार बसैया
मैंने खेत जाट का खाया, मुझे जाट पकड़ ले आया
मेरे रोवें बेटी-बेटा, रामजी च्यूँ-म्यूँ रामजी च्यूँ-म्यूँ
हाथी वाला भी चला गया। अब तो चिड़िया बहुत दु:खी। हे भगवान जाट तो मुझे छोड़ेगा नहीं। फिर एक साधु बाबा आए। चिड़िया ने उनको आवाज दी
ओ साधु बाबा भैया, मैं जमुना पार बसैया
मैंने खेत जाट का खाया, मुझे जाट पकड़ ले आया
मेरे रोवें बेटी-बेटा, रामजी च्यूँ-म्यूँ रामजी च्यूँ-म्यूँ
साधु बाबा को चिड़िया पर दया आगयी। उन्होंने जाट से कहा छोटी सी चिड़िया है। इसके छोटे-छोटे बच्चे हैं। बच्चों के लिए वह दाना ले जाती है। जाट तू इसे छोड़ दे। मेरा कहना मान ले। जाट बोला नहीं महाराज जी इसने मेरी फसल बहुत खराब की है। मैं तो इसको नहीं छोड़ूँगा। जब जाट नहीं माना साधु बाबा ने कहा चल मेरे डन्डे कर अपना काम । डन्डा साधु बाबा के हाथ से निकल कर जाट की पिटायी करने लगा। दन-दना-दन दन दना-दन । जाट को लगा अब मेरा कोई बचाव नहीं है। उसने हाथ जोड़ कर कहा मैं चिड़िया को छोड़ देता हूँ। साधु जी अपने डन्डे को वापिस बुलाओ। इस चिड़िया को फिर नहीं पकड़ूँगा। अपने बच्चों के लिए जितना दाना चाहे ले जाये। साधु जी ने डन्डे को वापिस बुला लिया। चिड़िया हँसी-खुशी उड़ गयी और अपने बच्चों के पास चली गयी।