जीजी की शादी
और वॉक्सहौल कार
श्री कन्हैया
लाल जी की पहली
पत्नी का विवाह
के कुछ समय बाद
ही निधन हो गया।
लाला जी की पहली
पत्नी के
माता-पिता खतौली
में रहते थे। उन्होंने
लाला जी की दूसरी
पत्नी श्रीमति
मूर्ती देवी (भाभी)
जो एक मीरापुर
के रईस परिवार
से आईं थी अपनी
पुत्री का स्नेह
दिया। जीजी का
दूसरा ननिहाल खतौली
बन गया।
जीजी हापुड़
के परिवार की ज्येष्ठ
सन्तान थी, बहुत
सुन्दर और सबकी
लाड़ली थीं। मेरे
चारों नाना एक
आदर्श संयुक्त
परिवार में एक
हापुड़ की नामी
हवेली जिसका नाम
श्री प्रेमभवन
था बहुत सादगी
और उच्च विचारों
से साथ रहते थे।
घर में सब लोग चर्खा
कातते थे और खद्दर
के कपडे ही पहनते
थे। श्री
प्रेमभवन में कॉन्ग्रेस
पार्टी के कार्यकर्ताओं
का आना जाना लगा
रहता था और गोष्टियाँ
होती रहती थीं।
जीजी जब 14 – 15 साले
की रही होंगी उनके
चाचाजी श्री सरजू
प्रसाद जी उन्हें
नई दिल्ली दिखलाने
के लिए अपने मित्र
श्री परमेश्वरी
प्रसाद जी के घर
ले गये। एक दिन
जीजी को संसद भवन
ले गये। संसद भवन
में सेठ गोविन्द
दास, जो एक सांसद
थे और सरजू प्रसाद
जी के जानकार भी,
ने जीजी को देखा
और पूछा कि आपके
साथ लड़की कौन
है। सरजू प्रसाद
जी ने बताया कि
मेरे साथ मेरे
बड़े भाई की बेटी
है। श्री गोविन्द
दास जी ने कहा हमें
यह लड़की पसन्द
है। हम इसका विवाह
अपने पुत्र के
साथ करना चाहते
हैं। श्री गोविन्द
दास जबलपुर
के राजपरिवार से
और देश के सम्मानित
महेश्वरी थे। श्री
गोविन्द दास के परिवार
वालों ने जीजी
को परमेश्वरी प्रसाद
जी के घर आकर देखा
और हापुड़ आकर
सोने की हंसली
पहना कर सगाई की
रसम कर दी। लेकिन
कुछ दिन बाद सरजू
प्रसाद जी को कुछ
ऐसे समाचार मिले
कि हापुड़ परिवार
ने श्री गोविन्द
दास जी के
लड़के के साथ जीजी
की शादी नहीं करने
का निर्णय लिया।
जबलपुर से सन्देश
आया कि वे लड़की
को उठा कर ले जायेंगे।
अब एक चिन्ता का
माहौल हो गया। जीजी के लिये
दुसरा वर ढूँढ़ना
एक आवश्यकता बन
गई। सरजू प्रसाद
जी को पता लगा कि
एक होनहार महेश्वरी
लड़का इलाहाबाद
में I.C.S. की
परिक्षा की तैयारी
कर रहा है। वह पिताजी
से मिलने के लिए
इलाहाबाद गये।
सरजू प्रसाद जी
को पिताजी पसन्द
आए। उन्होंने जीजी
से शादी करने का
प्रस्ताव पिताजी
को रखा। पिताजी
ने एक कार मांगी।
सरजू प्रसाद जी
ने कहा कि हम लोग
किसान हैं कार
देने में असमर्थ
हैं।
भाभी जीजी
को लेकर खतौली
की नलिहाल ले गयीं।
उसके बाद मीरापुर
अपने माती-पिता
के घर ले गयीं।
भाभी ने लाला जी
से कहा होगा कि
मैं लड़की को छुपाते
– छुपाते तंग आगयी
हूँ। हापुड़ परिवार
ने पिताजी को शादी
में कार
देना स्वीकार
कर लिया। पिताजी
की छोटी बहन अतर
देवी की शादी हापुड़
निवासी श्री महाबीर
प्रसाद जी के साथ
हो चुकी थी। उन्होंने
अपने शिकोहाबाद
परिवार में जीजी
की बहुत तारीफ
की। पिताजी ने
हापुड़ आकर जीजी
को देखने आने का
निर्णय लिया। पिताजी
अपने मित्र पृथ्वीनाथ
जी के साथ हापुड़
आए।
जीजी ने पिताजी
और पृथ्वीनाथ जी
को खाना परसा।
पिताजी ने कहा
मैंने लड़की के
केवल पैर और हाथ
देखे हैं। चेहरा
तो देखा ही नहीं।
उसका अवसर भी दिया गया। जीजी
ऊपर के कमरे मैं
चर्खा कात रहीं
थी। पिताजी और पृथ्वीनाथ
जी ने जीजी को दूर
से चर्खा कातते
हुआ देखा। एक चीज
तो फिर भी रह गई।
आवाज तो सुनी नही।
जब जीजी फिर से
भोजन परस रहीं
थी उनके चाचाजी
सरजू प्रसाद जी
ने पूछा, विमला
क्या लायी हो? जीजी ने जवाब दिया,
फल लायी हूँ। अब
तो आवाज भी सुन
ली। पिताजी ने
कहा मुझे वॉक्सहौल
कार चहिए। भाभी
ने सोने की हंसली
अपने पास रखली,
वह जबलपुर वापिस
नहीं भेजी गई।
पिताजी I.C.S. में नहीं चुने
गए, उनहें P.C.S. के
लिए चुना गया।
पिताजी की पहली
नियुक्ती मथुरा
हुई। सरजू प्रसाद
जी रोकने की रसम
करने के लिए शिकोहाबाद
आए। पिताजी को
दौरे पर जाना पड़
गया। वे शिकोहाबाद
नहीं पहुंच पाये।
सरजू प्रसाद जी
से कहा गया कि इस
स्थिति में रमेश
चाचाजी जो 6 य 7 साल
के रहे होंगे तिलक
करदें। रमेश चाचाजी
भी बहुत खुश हुए
कि उनकी भी शादी
हो गई।
बाबाजी एक
दिन पहले बरात
लेकर आगए। पिताजी
शादी के दिन ही
पहुँचे। शादी बहुत
धूम-धाम से हुई।
पिताजी दुल्हन
को लेकर
वॉक्सहौल कार
से शिकोहाबाद के
लिये रवाना हुए।
रास्ते में पिताजी
ने जीजी से कहा,
देखो जी शिकोहाबाद
का घर कच्चा है!
अब मैं अपनी
वॉक्सहौल कार की
याद लिखता हूँ।
वॉक्सहौल कार शिकोहाबाद
में रहती थी। मैं
भी शिकोहाबाद में
रहता था। खबर आयी
कि जीजी की नानी
की मृत्यु मीरापुर
में हो गई है। बहु
की नानी मरने का
जश्न मनाने के
लिए छोटी अम्माजी
और छोटे बाबाजी
वॉक्सहौल कार से
मीरापुर गए। मैं
भी साथ गया। पहाड़ी
ड्राईवर कार चला
रहा था। वह हैन्डल
गियर बदलता रहता
था। मैंने उससे
कई बार पूँछा कि
उसे कैसे पता लगता
है कि गियर बदलना
है। उसने मूझे
नहीं बताया। छोटी
अम्माजी ने जीजी
की ननिहाल में
खूब नाचा।
मैं जीजी-पिताजी
के पास दिल्ली
आगया था। वॉक्सहौल
कार भी दिल्ली
आगई थी।
थम्मन सिंह ड्राईवर
वॉक्सहौल कार को
शिकोहाबाद से दिल्ली
लाया था। उसने
कहा कि इस का एन्जन
बदला जाएगा। जामा
मश्जिद से वह एन्जन
लाया। जीजी ने
थम्मन सिंह ड्राईवर
से कार चलाना
सिखाने के लिए
कहा। जीजी से एक
दो बार हे माताजी
सुनने के बाद थम्मन सिंह ने कहा मेमसाहब
आप गाड़ी चलाना
नहीं सीख सकती! जीजी ने
वॉक्सहौल कार
तो नहीं चलाई लेकिन जीजी उसके
कारबूरेटर से कचरा निकाल कर
साफ कर देती थीं।
मैं कार में स्टारटर
हैन्डल फिट कर
देता था। कुछ समय
बाद पिताजी ने
बेबी हिन्दुस्तान
कार खरीदी। वह
कार बहुत सुन्दर
थी। उस कार का नः
432 था। पिताजी ने
कहा देखो अमर नाथ
मैं 43 साल का हूँ
और मेरे पास दो
कार हैं, इस लिए
मेरी गाड़ी का
नः 432 है। पिताजी
का तबादला शिमला
हो गया। बेबी हिन्दुस्तान
कार बेच दी गई।
एक सरदार खरीद
कर ले गया। बहुत
दुख हुआ। वॉक्सहौल
कार शिकोहाबाद
वापिस भेज दी गई।
समय के साथ चुहों
ने उसके सारे तार
खा लिए।